आपका स्वागत है , आज हम आपको बताने जा रहें हैं : Gotra kya hota hai ? अक्सर आपने अपने परिवार जनों से यह शब्द सुना होगा।
शायद आप में से बहुत से लोग अपना गोत्र जानने के भी इच्छुक होंगे , तो बिना देरी किये शुरू करते हैं।
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गोत्र क्या होता है - Gotra kya hota hai ?
हमारी भारतीय संस्कृति तथा समाज में गोत्र का अत्यधिक महत्व है । गोत्र असल में एक बहुत ही पुरानी परंपरागत प्रथा है और इस प्रथा को हिन्दू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है।
गोत्र एक समाजिक और धार्मिक विषय है , यह जानना काफी नहीं है की गोत्र क्या होता है और मेरा गोत्र क्या है।
अगर आप हिंदू हैं तो आपको गोत्र से जुड़ी पूरी जानकारी का पता होना बहुत जरूरी है।
इस लेख़ में हम विस्तार से आपको इसकी जानकारी देंगे और जहाँ तक हो सकेगा आपके मन में उठ रहे प्रश्नों के उतर भी हम इसी में देने का प्रयास करेंगे।
गोत्र का अर्थ
गोत्र का अर्थ होता है -“गौतम ऋषि का वंश”. गोत्र एक संस्कृत शब्द है और इसका इस्तेमाल अक्सर तब किया जाता है जब आपके वंश की पहचान करनी होती है।
हिन्दू धर्म में जब पता करना होता है की आप किसके वंशज है , तो आपका गोत्र देखा जाता है।
पूजा ,विवाह इत्यादि कार्यों में पंडित आपके गोत्र का नाम आपसे पूछते हैं ताकि वे आपके वंश के नाम से अनुष्ठान कर सकें।
गोत्र के प्रकार (मुख्यत : 7 )
हिन्दू धर्म में मुख्यत : 7 प्रकार के गोत्र हैं जो इस प्रकार हैं :
- भरद्वाज
- गौतम
- अत्रि
- भृगु
- कश्यप
- वशिष्ठ
- विश्वामित्र
आज में यह गोत्र की संख्या आज 115 के आसपास है पहुंच चुकी है , सभी गोत्र समान रूप से बराबर हैं।
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गोत्र का महत्व
- वंश का पता: जी हाँ , आप किसके वंशज है , इस सवाल का जवाब आपके गोत्र से ही लगता है।
- धार्मिक महत्व: जी हाँ धार्मिक अनुष्ठानों में भी इसका महत्व है , जैसे की शादी। हिन्दू धर्म के अनुसार कभी भी एक समान गोत्र वालों की शादी नहीं होती है।
- साइंटिफिक तथ्य : वैज्ञानिकों के अनुसार अगर आप एक गोत्र के होते हैं तो आपकी ब्लड लाइन और आपके जीन्स (Genes) भी समान होते हैं। तो अगर लड़का लड़की एक गोत्र के हो , तो उन्हें भाई बहन माना जाता है। अगर एक समान गोत्र के लोग शादी करते हैं तो आगे चल कर बहुत से रोग होने के संभावना होती है और स्त्रियों को संतान उत्पति में प्रॉब्लम फेस करनी पड़ती है।
गोत्र का इतिहास
चलिए अब एक नज़र डालते हैं Gotra kya hota hai और इसका इतिहास क्या है इसके बारे में।
हमारे वेदो के अनुसार गोत्र का इतिहास बहुत ही प्राचीन है।
वेदों में गोत्र के महत्व का जिक्र किया गया है और वहां इसका अध्ययन और पालन करने की सलाह भी दी गई है।
गोत्र का पालन करने से वंश में पवित्रता और धार्मिकता का संरक्षण होता है, इसलिए यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक नियम के रूप में माना जाता है।
वेदों में गोत्र के नियम पहले ही बताये गए हैं ,जैसे कि एक गोत्र के लोग शादी न करें , हमारे वेदों ने लाखों साल पहले ही उन समस्याओं के बारे में लिख दिया था जो आज मॉडर्न साइंस ने खोज निकला है।
गोत्र का पालन और इसके मान्यताओं का पालन करने के लिए कुछ विशेष नियम और विधियाँ होती हैं , आईये उनके बारे में जानें :
विवाह: गोत्र के अनुसार विवाह करना हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण है। गोत्र के अनुसार विवाह करने से वंश की पवित्रता बनाए रखने का प्रयास किया जाता है। विवाह हमेशा अलग गोत्र के साथ ही होना चाहिए।
पूजा: गोत्र के अनुसार वंशजों को अपने पूर्वजों की पूजा और आदर करना चाहिए। इससे परंपरागत और धार्मिक संबंध मजबूत होते हैं।
सामाजिक सम्मान: गोत्र के अनुसार वंशजों को सामाजिक सम्मान और गर्व मिलता है। इससे समाज में सामंजस्य और एकता बनाए रखने का प्रयास किया जाता है।
भ्रम और मिथ्या बातें
गोत्र के बारे में कुछ ग़लत धारणाएँ हैं , जिनके बारे में आपको पूरी जानकारी होनी चाहिए।
- गोत्र की अधिकता: बहुत से लोगों को यह भ्र्म होता है कि गोत्र के अनेकों प्रकार हैं , हां यह सच है कि गोत्रों की अधिकता हो सकती है, लेकिन व्यक्तिगत वंश के लिए एक ही गोत्र का पालन किया जाता है।
- गोत्र का आधार: बहुत से लोग गोत्र को जाति और वर्ण के आधार पर मानते हैं, जो गलत है। गोत्र वंश की पहचान के लिए होता है, और यह जाति और वर्ण से अलग है।
- गोत्र का निर्वाचन: कुछ लोग गलत तरीके से गोत्र का निर्वाचन करने का मिथ्या धारण करते हैं। गोत्र आपके पूर्वजों के आधार पर होता है और इसे स्वयं चुना नहीं जा सकता है।
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अपना गोत्र कैसे जानें
देखिये अगर आपको आपका गोत्र पता नहीं है और आप पता करना चाहते हैं की आपका गोत्र क्या है तो आपको इसका ज़वाब आपके बुजुर्गों से मिल सकता है।
ऑनलाइन इंटरनेट पर सर्च करके आपको इसका जवाब नहीं मिलेगा क्यूंकि यह व्यक्तिगत होता है। आपके माता पिता या फिर आपके दादा दादी ही आपको इसके बारे में जानकारी दे सकते हैं।
अगर आपके घर में भी आपको इसका जवाब नहीं मिलता है तो आपको हरिद्वार जाकर हिंदू वंशावली रजिस्टर से आपका गोत्र तो आवश्य मिल जायेगा।
वहां आपकी 4 पीढ़ी तक का लिखित रिकॉर्ड रहता है।
अगर हम मनु स्मृति इत्यादि पुस्तकों की माने उनमे लिखा गया है जिसे अपना गोत्र नहीं पता वह अपना गोत्र कश्यप बता सकते हैं।
अक्सर गोत्र से जुड़े पूछे जाने वाले सवाल
मेरा गोत्र क्या है ?
आपको आपका गोत्र सिर्फ आपके घर के बुजुर्ग ही बता सकते हैं. अगर उन्हें भी पता नही हैं तो हरिद्वार में हिंदू वंशावली रजिस्टर से आपको आपका गोत्र आवश्य मिल जायेगा।
7 गोत्र कौन कौन से हैं?
हिन्दू धर्म में मुख्यत : 7 प्रकार के गोत्र हैं जो इस प्रकार हैं : भरद्वाज ,गौतम ,अत्रि ,भृगु ,कश्यप ,वशिष्ठ ,विश्वामित्र
हिंदू धर्म में कितने गोत्र होते हैं ?
हिन्दू धर्म में मुख्यत : 7 प्रकार के गोत्र हैं.
अपना गोत्र कैसे पता लगाएं?
इसका जवाब आपको आपके बुजुर्गो या घर के बड़ो से ही मिलेगा, इन्टरनेट पर नही.
समाप्ति
आज के इस लेख में हमने आपको बताया कि Gotra kya hota hai ? इसके कितने प्रकार हैं, अपने गोत्र का पता केसे करें इत्यादि।
उमीद है आपको आपके प्रश्नों का जवाब मिला होगा।
धन्यवाद आपका जो आपने इस लेख को अंत तक पढ़ा।